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Wednesday, June 27, 2018

Bankim Chandra Chatopdhyay Jayanti

बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय



बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय बंगाल के
प्रकाण्ड विद्वान् तथा महान् कवि और उपन्यासकार थे।
1874 में प्रसिद्ध देश भक्ति गीत वन्देमातरम् की रचना की जिसे बाद में आनन्द मठ नामक उपन्यास में शामिल किया गया था।
वन्देमातरम् गीत को सबसे पहले 1896 में कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में गाया गया था।

भारत का राष्ट्रगीत लिखने वाले प्रसिद्ध लेखक बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय का जन्म बंगाल के 24 परगना ज़िले के कांठल पाड़ा नामक गाँव में एक सम्पन्न परिवार में हुआ था।
बंकिमचंद्र चटर्जी की पहचान बांग्ला कवि, उपन्यासकार, लेखक और पत्रकार के रूप में है।
उनकी प्रथम प्रकाशित रचना राजमोहन्स वाइफ थी।
इसकी रचना अंग्रेजी में की गई थी।

वर्ष 1872 में इन्होने मासिक पत्रिका बंगदर्शन का भी प्रकाशन किया था।

अपनी इस पत्रिका में उन्होंने विषवृक्ष (1873) उपन्यास का क्रमिक रूप से प्रकाशन किया है।

बंकिमचंद्र चटर्जी ने केवल 27 वर्ष की उम्र में उन्होंने ‘दुर्गेश नंदिनी’ नाम का उपन्यास लिखा था।
जिससे उन्हें बहुत प्रसिद्धि हासिल हुई थी।

राष्ट्रीय दृष्टि से ‘आनंदमठ’ उनका सबसे प्रसिद्ध उपन्यास है। इसी में सर्वप्रथम ‘वन्दे मातरम्’ गीत प्रकाशित हुआ था तथा इसके रचयिता बंकिमचंद्र ही थे।

बंकिमचंद्र के उपन्यासों का भारत की लगभग सभी भाषाओं में अनुवाद किया गया है।
बांग्ला में सिर्फ बंकिम और शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय को यह गौरव हासिल है।

7 नवंबर 1876 में बंगाल के कांतल पाडा गांव में बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय ने
‘वंदे मातरम’ की रचना की थी।

बंकिमचंद्र का विवाह बहुत ही कम उम्र ग्यारह वर्ष की आयु में कर दिया गया था उनकी पत्नी से उन्हें एक पुत्र हुआ था। तथा बाद में उनका दूसरा विवाह राजलक्ष्मी देवी से हुआ था।

आधुनिक बंगला साहित्य के राष्ट्रीयता के जनक तथा राष्ट्रगीत के निर्माता का
8 अप्रैल, 1894 ई. को देहान्त हो गया।


मुख्य रचनाएँ
आनंदमठ, 'कपाल कुण्डली', 'मृणालिनी' आदि।

भाषा
हिन्दी, अंग्रेज़ी, बांग्ला, संस्कृत
विशेष योगदान राष्‍ट्रीय गीत


"वंदे मातरम्" मात्र एक गीत नही है,
यह "मंत्र" है,
जो कान के रास्ते प्रवेश करते ही रक्त और ऊर्जा के संचार को सुखद शीर्ष पर ले जाता है।
ऐसे महान गीत को रचने वाले बंकिमचंद्र चटर्जी की जयंती पर शत-शत नमन।


JAY HIND
JAY BHARAT
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