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Monday, September 10, 2018

Jain Paryushan Parv | जैन पर्युषण पर्व

Jain Paryushan Parv | जैन पर्युषण पर्व
         पर्यूषण पर्व भगवान महावीर के अनुयायियों तथा जैन धर्मावलंबियों द्वारा भाद्रपद मास में मनाया जाता है।आठ दिनों तक चलने वाले इस पर्व में मनुष्य, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि योग जैसी साधना तप-जप के साथ करके मानव जीवन को सार्थक बनाता है। पर्यूषण पर्व को मनाने का मुख्य उद्देश्य आत्मा को शुद्ध करने के लिए आवश्यक उपक्रमों पर ध्यान केंद्रित करना होता है। पर्यावरण का शुद्धिकरण इसके लिए अनिवार्य बताया गया है।
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पर्व समय
जैन धर्म में मुख्यतः दो सम्प्रदाय हैं- श्वेताम्बर संप्रदाय और दिगंबर संप्रदाय। श्वेताम्बर संप्रदाय को मानने वाले लोग पर्यूषण पर्व को भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी से भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की पंचमी तक मनाते हैं,
जबकि दिगंबर संप्रदाय के लोग इस महापर्व को भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी से चतुर्दशी तक मनाते हैं। पर्यूषण पर्व में अनुयायी जैन तीर्थंकरों की पूजा, सेवा और स्मरण करते हैं।
पर्व में शामिल होने वाले लोग आठ दिनों के लिए उपवास रखने का प्रण करते हैं, इसे 'अटाई' कहा जाता है।
आठ दिनों तक चलने वाले इस पर्व में एक दिन स्वप्न दर्शन होता है, जिसमें उत्सव के साथ 'त्रिशाला देवी' की पूजा तथा आराधना आदि भी की जाती है।


उद्देश्य
क्षमा-याचना के इस महापर्व का मुख्य उद्धेश्य तप और बल को विकसित कर सारी सांसारिक प्रवृत्तियों को अहिंसा से भर देना होता है।
पर्यूषण पर्व के इस शुभ अवसर पर जैन संत और विद्वान् समाज को पर्यूषण पर्व की दशधर्मी शिक्षा को अनुसरण करने की प्रेरणा प्रदान करते हैं, क्योंकि महापर्व की इस शिक्षाओं के अंतर्गत अनुयायी उत्तम मानवीय धर्म को हृदय की मधुरता और स्वभाव की विनम्रता के माध्यम से अनुभव करता है और उसे स्वीकार करता है।
इस पर्व के मौके पर जिनालयों और जैन मंदिरों में सुबह प्रवचनों और शाम के समय विविध धार्मिक व सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इस समस्त कार्यक्रम में काफ़ी संख्यां में जैन धर्मावलम्बी उपस्थित होते हैं।


शिक्षा
मानव की सोई हुई अन्त:चेतना को जागृत करने, आध्यात्मिक ज्ञान के प्रचार, सामाजिक सद्भावना एवं सर्व-धर्म समभाव के कथन को बल प्रदान करने के लिए पर्यूषण पर्व मनाया जाता है।
यह पर्व धर्म के साथ राष्ट्रीय एकता तथा मानव धर्म का पाठ पढ़ाता है।
यह पर्व सिखाता है कि धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष आदि की प्राप्ति में ज्ञान व भक्ति के साथ सद्भावना का होना अनिवार्य है। भगवान भक्त की भक्ति को देखता है, उसकी अमीरी-ग़रीबी या सुख-समृद्धि को नहीं।
जैन सम्प्रदाय का यह पर्व हर दृष्टीकोण से गर्व करने लायक़ है, क्योंकि इस दौरान गुरु भगवंतो के मुखारविद से अमृतवाणी का श्रवण होता है, जो हमारे जीवन में ज्ञान व धर्म के अंकुर को परिपक्व करता है।


વાંક મારો હતો કે તારો,
માત્ર "આજ" આપણને મળી છે, 
કાલની કોઈ ને ખબર કયાં,

નમીએ, ખમીએ,    
અને સુખ-દુઃખમાં
એક બીજાને કહીએ
"તમે ફિકર ના કરો અમે છઈએ,"

આજે  એક નવો જ સંકલ્પ લઈએ,
" એક  બીજાની અદેખાઈ, સ્પર્ધા તજીએ,

માફી માંગવાનો હક્ક મારો છે 
અને માફ કરવાનો અધિકાર તમારો છે

આશા છે આપ મને માફ કરશો
પર્વ પર્યુષણ ની પહેલા, ખરાં અંતર ભાવ થી સર્વે ને..

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Wednesday, September 5, 2018

5.9.18 | Teacher's Day | रोचक जानकारी

5.9.18 | Teacher's Day
रोचक जानकारी

5.9.18 | Teacher's Day रोचक जानकारी भारत में शिक्षकों के योगदान को सम्मान देने के लिये हर वर्ष 05 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। हमारे पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर 1888 को हुआ था इसलिये अध्यापन पेशे के प्रति उनके प्यार और लगाव के कारण उनके जन्मदिन पर पूरे भारत में शिक्षक दिवस मनाया जाता है।
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शिक्षक दिवस गुरु की महत्ता बताने वाला प्रमुख दिवस है। भारत में 'शिक्षक दिवस' प्रत्येक वर्ष 5 सितम्बर को मनाया जाता है। शिक्षक का समाज में आदरणीय व सम्माननीय स्थान होता है। भारत के द्वितीय राष्ट्रपति डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिवस और उनकी स्मृति के उपलक्ष्य में मनाया जाने वाला 'शिक्षक दिवस' एक पर्व की तरह है, जो शिक्षक समुदाय के मान-सम्मान को बढ़ाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार गुरु पूर्णिमा के दिन को 'गुरु दिवस' के रूप में स्वीकार किया गया है। विश्व के विभिन्न देश अलग-अलग तारीख़ों में 'शिक्षक दिवस' को मानते हैं। बहुत सारे कवियों, गद्यकारों ने कितने ही पन्ने गुरु की महिमा में रंग डाले हैं।

गुरु गोविंद दोउ खड़े काके लागू पाय

बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो बताय।


कबीरदास द्वारा लिखी गई उक्त पंक्तियाँ जीवन में गुरु के महत्त्व को वर्णित करने के लिए काफ़ी हैं। भारत में प्राचीन समय से ही गुरु व शिक्षक परंपरा चली आ रही है। गुरुओं की महिमा का वृत्तांत ग्रंथों में भी मिलता है। जीवन में माता-पिता का स्थान कभी कोई नहीं ले सकता, क्योंकि वे ही हमें इस रंगीन ख़ूबसूरत दुनिया में लाते हैं। उनका ऋण हम किसी भी रूप में उतार नहीं सकते, लेकिन जिस समाज में रहना है, उसके योग्य हमें केवल शिक्षक ही बनाते हैं। यद्यपि परिवार को बच्चे के प्रारंभिक विद्यालय का दर्जा दिया जाता है, लेकिन जीने का असली सलीका उसे शिक्षक ही सिखाता है। समाज के शिल्पकार कहे जाने वाले शिक्षकों का महत्त्व यहीं समाप्त नहीं होता, क्योंकि वह ना सिर्फ़ विद्यार्थी को सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं, बल्कि उसके सफल जीवन की नींव भी उन्हीं के हाथों द्वारा रखी जाती है।



शिक्षक का मान-सम्मान

गुरु, शिक्षक, आचार्य, अध्यापक या टीचर ये सभी शब्द एक ऐसे व्यक्ति को व्याख्यातित करते हैं, जो सभी को ज्ञान देता है, सिखाता है। इन्हीं शिक्षकों को मान-सम्मान, आदर तथा धन्यवाद देने के लिए एक दिन निर्धारित है, जो की 5 सितंबर को 'शिक्षक दिवस' के रूप में जाना जाता है। सिर्फ़ धन को देकर ही शिक्षा हासिल नहीं होती, बल्कि अपने गुरु के प्रति आदर, सम्मान और विश्वास, ज्ञानार्जन में बहुत सहायक होता है। 'शिक्षक दिवस' कहने-सुनने में तो बहुत अच्छा प्रतीत होता है, लेकिन क्या हम इसके महत्त्व को समझते हैं। शिक्षक दिवस का मतलब साल में एक दिन अपने शिक्षक को भेंट में दिया गया एक गुलाब का फूल या ‍कोई भी उपहार नहीं है और यह शिक्षक दिवस मनाने का सही तरीका भी नहीं है। यदि शिक्षक दिवस का सही महत्त्व समझना है तो सर्वप्रथम हमेशा इस बात को ध्यान में रखें कि आप एक छात्र हैं और ‍उम्र में अपने शिक्षक से काफ़ी छोटे है। और फिर हमारे संस्कार भी तो यही सिखाते है कि हमें अपने से बड़ों का आदर करना चाहिए। अपने गुरु का आदर-सत्कार करना चाहिए। हमें अपने गुरु की बात को ध्यान से सुनना और समझना चाहिए। अगर अपने क्रोध, ईर्ष्या को त्याग कर अपने अंदर संयम के बीज बोएं तो निश्‍चित ही हमारा व्यवहार हमें बहुत ऊँचाइयों तक ले जाएगा और तभी हमारा 'शिक्षक दिवस' मनाने का महत्त्व भी सार्थक होगा।


प्रेरणा स्रोत

संत कबीर के शब्दों से
भारतीय संस्कृति में गुरु के उच्च स्थान की झलक मिलती है। भारतीय बच्चे प्राचीन काल से ही आचार्य देवो भवः का बोध-वाक्य सुनकर ही बड़े होते हैं।
माता-पिता के नाम के कुल की व्यवस्था तो सारे विश्व के मातृ या पितृ सत्तात्मक समाजों में चलती है, परन्तु गुरुकुल का विधान भारतीय संस्कृति की अनूठी विशेषता है। कच्चे घड़े की भांति स्कूल में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को जिस रूप में ढालो, वे ढल जाते हैं। वे स्कूल में जो सीखते हैं या जैसा उन्हें सिखाया जाता है, वे वैसा ही व्यवहार करते हैं। उनकी मानसिकता भी कुछ वैसी ही बन जाती है, जैसा वह अपने आस-पास होता देखते हैं। सफल जीवन के लिए शिक्षा बहुत उपयोगी है, जो गुरु द्वारा प्रदान की जाती है। गुरु का संबंध केवल शिक्षा से ही नहीं होता, बल्कि वह तो हर मोड़ पर अपने छात्र का हाथ थामने के लिए तैयार रहता है। उसे सही सुझाव देता है और जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है। 

माली रूपी शिक्षक

शिक्षक उस माली के समान है, जो एक बगीचे को भिन्न-भिन्न रूप-रंग के फूलों से सजाता है। जो छात्रों को कांटों पर भी मुस्कुराकर चलने को प्रोत्साहित करता है। उन्हें जीने की वजह समझाता हैशिक्षक के लिए सभी छात्र समान होते हैं और वह सभी का कल्याण चाहता है। शिक्षक ही वह धुरी होता है, जो विद्यार्थी को सही-गलत व अच्छे-बुरे की पहचान करवाते हुए बच्चों की अंतर्निहित शक्तियों को विकसित करने की पृष्ठभूमि तैयार करता है। वह प्रेरणा की फुहारों से बालक रूपी मन को सींचकर उनकी नींव को मजबूत करता है तथा उसके सर्वांगीण विकास के लिए उनका मार्ग प्रशस्त करता है। किताबी ज्ञान के साथ नैतिक मूल्यों व संस्कार रूपी शिक्षा के माध्यम से एक गुरु ही शिष्य में अच्छे चरित्र का निर्माण करता है। एक ऐसी परंपरा हमारी संस्कृति में थी, इसलिए कहा गया है कि- 

"गुरु ब्रह्मा, गुरुर्विष्णु गुरुर्देवो महेश्वरः।

गुरुः साक्षात परब्रह्म तस्मैः श्री गुरुवेः नमः।"

कई ऋषि-मुनियों ने अपने गुरुओं से तपस्या की शिक्षा को पाकर जीवन को सार्थक बनाया। एकलव्य ने द्रोणाचार्य को अपना मानस गुरु मानकर उनकी प्रतिमा को अपने सक्षम रख धनुर्विद्या सीखी। यह उदाहरण प्रत्येक शिष्य के लिए प्रेरणादायक है।


गुरु-शिष्य परंपरा

गुरु-शिष्य परंपरा भारत की संस्कृति का एक अहम और पवित्र हिस्सा है,
जिसके कई स्वर्णिम उदाहरण इतिहास में दर्ज हैं। लेकिन वर्तमान समय में कई ऐसे लोग भी हैं, जो अपने अनैतिक कारनामों और लालची स्वभाव के कारण इस परंपरा पर गहरा आघात कर रहे हैं। 'शिक्षा' जिसे अब एक व्यापार समझकर बेचा जाने लगा है, किसी भी बच्चे का एक मौलिक अधिकार है, लेकिन अपने लालच को शांत करने के लिए आज तमाम शिक्षक अपने ज्ञान की बोली लगाने लगे हैं। इतना ही नहीं वर्तमान हालात तो इससे भी बदतर हो गए हैं, क्योंकि शिक्षा की आड़ में कई शिक्षक अपने छात्रों का शारीरिक और मानसिक शोषण करने को अपना अधिकार ही मान बैठे हैं। किंतु कुछ ऐसे गुरु भी हैं, जिन्होंने हमेशा समाज के सामने एक अनुकरणीय उदाहरण पेश किया है। प्राय: सख्त और अक्खड़ स्वभाव वाले यह शिक्षक अंदर से बेहद कोमल और उदार होते हैं।
हो सकता है कि किसी छात्र के जीवन में कभी ना कभी एक ऐसे गुरु या शिक्षक का आगमन हुआ हो, जिसने उसके जीवन की दिशा बदल दी या फिर जीवन जीने का सही ढंग सिखाया हो..


रोचक जानकारी

भारत में शिक्षकों के योगदान को सम्मान देने के लिये हर वर्ष 05 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। हमारे पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर 1888 को हुआ था इसलिये अध्यापन पेशे के प्रति उनके प्यार और लगाव के कारण उनके जन्मदिन पर पूरे भारत में शिक्षक दिवस मनाया जाता है। वहीं 'अन्तरराष्ट्रीय शिक्षक दिवस' का आयोजन 5 अक्टूबर को होता है। रोचक तथ्य यह भी है कि शिक्षक दिवस दुनिया भर में मनाया जाता है, लेकिन सबने इसके लिए एक अलग दिन निर्धारित किया है। कुछ देशों में इस दिन अवकाश रहता है तो कहीं-कहीं यह कामकाजी दिन ही रहता है। 

• यूनेस्को ने 5 अक्टूबर को 'अन्तरराष्ट्रीय शिक्षक दिवस' घोषित किया था।
साल 1994 से ही इसे मनाया जा रहा है।
शिक्षकों के प्रति सहयोग को बढ़ावा देने और भविष्य की पीढ़ियों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए शिक्षकों के महत्व के प्रति जागरूकता लाने के मकसद से इसकी शुरुआत की गई थी।


--• चीन में 1931 में 'नेशनल सेंट्रल यूनिवर्सिटी' में शिक्षक दिवस की शुरूआत की गई थी।

चीन सरकार ने 1932 में इसे स्वीकृति दी।
बाद में 1939 में कन्फ़्यूशियस के जन्मदिवस, 27 अगस्त को शिक्षक दिवस घोषित किया गया, लेकिन 1951 में इस घोषणा को वापस ले लिया गया।
साल 1985 में 10 सितम्बर को शिक्षक दिवस घोषित किया गया।
अब चीन के ज्यादातर लोग फिर से चाहते हैं कि कन्फ्यूशियस का जन्म दिवस ही शिक्षक दिवस हो।

• रूस में 1965 से 1994 तक अक्टूबर महीने के पहले रविवार के दिन शिक्षक दिवस मनाया जाता रहा।साल 1994 से विश्व शिक्षक दिवस 5 अक्टूबर को ही मनाया जाने लगा।


• अमेरिका में मई के पहले पूर्ण सप्ताह के मंगलवार को शिक्षक दिवस घोषित किया गया है और वहाँ सप्ताह भर इसके आयोजन होते हैं।



• थाइलैंड में हर साल 16 जनवरी को 'राष्ट्रीय शिक्षक दिवस' मनाया जाता है। यहाँ 21 नवंबर, 1956 को एक प्रस्ताव लाकर शिक्षक दिवस को स्वीकृति दी गई थी।

पहला शिक्षक दिवस 1957 में मनाया गया था। इस दिन यहाँ स्कूलों में अवकाश रहता है।


• ईरान में वहाँ के प्रोफेसर अयातुल्लाह मोर्तेजा मोतेहारी की हत्या के बाद उनकी याद में 2 मई को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। मोतेहारी की 2 मई, 1980 को हत्या कर दी गई थी।



• तुर्की में 24 नवंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है।

वहाँ के पहले राष्ट्रपति कमाल अतातुर्क ने यह घोषणा की थी।


• मलेशिया में शिक्षक दिवस 16 मई को मनाया जाता है, वहाँ इस ख़ास दिन को 'हरि गुरु' कहते हैं।



आदर्शों की मिसाल बनकर

बाल जीवन संवारता शिक्षक,


सदाबहार फूल-सा खिलकर

महकता और महकाता शिक्षक,


नित नए प्रेरक आयाम लेकर

हर पल भव्य बनाता शिक्षक,


संचित ज्ञान का धन हमें देकर

खुशियां खूब मनाता शिक्षक,


पाप व लालच से डरने की

धर्मीय सीख सिखाता शिक्षक,


देश के लिए मर मिटने की

बलिदानी राह दिखाता शिक्षक,


प्रकाशपुंज का आधार बनकर

कर्तव्य अपना निभाता शिक्षक,


प्रेम सरिता की बनकर धारा

नैया पार लगाता शिक्षक।


1 शिक्षक किताबी ज्ञान देता हैं,

1 आपको विस्तार समझाता हैं
1 स्वयं कार्य करके दिखाता हैं और
1 आपको रास्ता दिखाकर आपको उस पर चलने के लिए छोड़ देता हैं ताकि
आप अपना स्वतंत्र व्यक्तित्व बना सके
यह अंतिम गुण वाला शिक्षक सदैव आपके भीतर प्रेरणा के रूप में रहता हैं
जो हर परिस्थिती में आपको संभालता हैं आपको प्रोत्साहित करता हैं.


समस्त शिक्षकों को हम निम्न शब्दों से नमन करते हैं



ज्ञानी के मुख से झरे, सदा ज्ञान की बात।

हर एक पंखुड़ी फूल, खुशबू की सौगात।।


धन्यवाद !
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Saturday, September 1, 2018

Aryam Bharatam Shitala Satam Increase Vitamin B12 | આર્યમ ભારતમ : શિતળા સાતમ એટલે વિટામિન B12 નિ ઉણપ દુર કરવાનો પર્વ

:: આર્યમ ભારતમ ::
શિતળા સાતમ એટલે વિટામિન B12 નિ ઉણપ દુર કરવાનો પર્વ 
:: Aryam Bharatam ::
Shitala Satam Increase Vitamin B12
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                        આપણે સૌ જાણીએ છિએ કે આજકાલ સમાજમાં વિટામિન B12 નિ ઉણપના કિસ્સાઓ વધી રહ્યાં છે. લોકોએ વિટામિન B12 માટે ઇન્જેક્શન લેવા પડે છે. આવિ અનેક બિમારીઓ માટે આર્યમ ભારતમ ટિમ અધ્યયન કરે છે અને સમાજમાં જાગ્રુતિ ફેલાવવાનું કામ કરે છે. આપણું શરીર નિરોગી રહે તેને ધ્યાનમાં રાખીને આપણાં ઋષીમુનિઓએ વિવિધ તહેવારોની રચના કરી હતી. આપણે જાણીએ છીએ કે વિટામિન B12 ફક્ત બિનશાકાહારી ખોરાકમાં જ છે.  આપણા પુર્વજો તો શુદ્ધ શાકાહારી હતા. તો તેઓ કેવી રીતે જીવતા હશે. ચાલો સમજીએ..... 
                            આપણે સૌ રાંધણ છઠ્ઠની વાર્તા જાણીએ છીએ કે આ દિવસે જે ખોરાક રંધાય છે તેને બીજા દિવસે શિતળા સાતમના રોજ ઠંડા ખવાય છે. જે ખોરાકમાં એવા બેક્ટેરીયા બનાવે છે જે આપણા શરીરમાં જઇને એવુ B12 બનાવે છે જે ૨૫ વર્ષ સુધી B12ની ઉણપ નથી  થવા દેતું. પરંતુ જો ખોરાકને આયોડિનવાળા મિઠાથી રાન્ધેલો ખોરાક ખાય તો શરીરમા આયોડીનની અતિરીક્ત માત્રા જવાથી B12ના બેક્ટેરીયાને નષ્ટ કરી નાખે છે અને વિટામિન B12ની ઉણપ રહી જાય છે. તેથી આ દિવસો દરમ્યાન અને શક્ય હોય તો આજીવન સિંધાલુણ (સિંધવ મીઠુ) જ રસોઇ માટે ઉપયોગ કરવું જે આપણા શરીર માટે ખુબ જ ગુણકારી છે અને આ દિવસે કોઇપણ ગરમ ખોરાક ખાવા નહિ. ચા પણ પીવી નહિ. ભાભા રીસર્ચ સેન્ટરનાં વૈજ્ઞાનિક શ્રી આર. એન. વર્માજીનું સંશોધન છે કે જો આ રીતે શિતળા સાતમનો તહેવાર ઉજવવામાં આવે તો વિટામિન B12 ની સમસ્યા થતી જ નથી.
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Thursday, August 30, 2018

JAVERCHAND MEGHANI JAYANTI | ઝવેરચંદ મેઘાણીનો જન્મ

JAVERCHAND MEGHANI JAYANTI | ઝવેરચંદ મેઘાણીનો જન્મ
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ઝવેરચંદ મેઘાણીનો જન્મ ૨૮ ઓગસ્ટ, ૧૮૯૭માં ગુજરાતનાં ચોટીલા ગામમાં થયો હતો.
તેમનાં માતાનું નામ ધોળીબાઈ તથા પિતાનું નામ કાળીદાસ મેઘાણી હતું કે જેઓ બગસરાનાં જૈન વણીક હતાં. તેમના પિતાની નોકરી પોલીસ ખાતામાં હતી અને પોલીસ ખાતા થકી તેમની બદલીઓ થવાને કારણે તેમણે પોતાના કુટુંબ સાથે ગુજરાતનાં અલગ અલગ ગામોમાં રહેવાનું થયું. ઝવેરચંદનું ભણતર રાજકોટ, દાઠા, પાળીયાદ, બગસરા, અમરેલી વગેરે જગ્યાઓએ થયું. તેઓ અમરેલીની તે વખતની સરકારી હાઈસ્‍કૂલ અને હાલની ટીપી ગાંધી એન્‍ડ એમટી ગાંધી ગર્લ્‍સ સ્‍કૂલમાં ૧૯૧૦ થી ૧૯૧૨ સુધી માધ્‍યમિક શિક્ષણ મેળવીને ૧૯૧૨ મૅટ્રીક થયા હતા. ઇ.સ.૧૯૧૬માં તેઓએ ભાવનગરનાં શામળદાસ મહાવિદ્યાલયમાંથી અંગ્રેજી તેમજ સંસ્કૃતમાં સ્નાતકીય ભણતર પૂરું કર્યું.

ભણતર પુરુ કર્યા બાદ ઇ.સ. ૧૯૧૭માં તેઓ કોલકાતા સ્થિત જીવનલાલ લીમીટેડ નામની એક એલ્યુમિનીયમની કંપનીમાં કામે લાગ્યા. આ કંપનીમાં કામ કરતી વખતે તેઓને એકવાર ઈંગ્લેંડ જવાનું પણ થયું હતું. ૩ વર્ષ આ કંપનીમાં કામ કર્યા બાદ વતનના લગાવથી તેઓ નોકરી છોડીને બગસરા સ્થાયી થયા.
સવંત ૧૯૨૨માં જેતપુર સ્થિત દમયંતીબેન સાથે તેમના લગ્ન થયા. નાનપણથી જ ઝવેરચંદને ગુજરાતી સાહિત્યનું ધણું ચિંતન રહ્યું હતું અને તેમના કલકત્તા રહ્યા દરમ્યાન તેઓ બંગાળી સાહિત્યનાં પરિચયમાં પણ આવ્યા હતાં. બગસરામાં સ્થાયી થયા બાદ તેમણે રાણપુરથી પ્રકાશીત થતાં 'સૌરાષ્ટ્ર' નામનાં છાપામાં લખવાની શરુઆત કરી હતી. ૧૯૨૨ થી ૧૯૩૫ સુધી તેઓ 'સૌરાષ્ટ્ર'માં તંત્રી તરીકે રહ્યા હતા. આ સમય દરમ્યાન તેઓએ પોતાના સાહિત્યીક લખાણને ગંભીરતાપુર્વક લઈ 'કુરબાનીની કથાઓ' ની રચના કરી કે જે તેમની પહેલી પ્રકાશીત પુસ્તક પણ રહી. ત્યાર બાદ તેઓએ 'સૌરાષ્ટ્રની રસધાર' નું સંકલન કર્યુ તથા બંગાળી સાહિત્યમાંથી ભાષાંતર કરવાની પણ શરુઆત કરી.

કવિતા લેખનમાં તેમણે પગલાં 'વેણીનાં ફુલ' નામનાં ઇ.સ. ૧૯૨૬માં માંડ્યા.
ઇ.સ. ૧૯૨૮માં તેમને લોકસાહિત્યમાં તેમનાં યોગદાન બદલ રણજિતરામ સુવર્ણચંદ્રક આપવામાં આવ્યું હતું.
તેમનાં સંગ્રામ ગીતોનાં સંગ્રહ 'સિંઘુડો' -એ ભારતનાં યુવાનોને પ્રેરીત કર્યા હતાં અને જેને કારણે ઇ.સ.
૧૯૩૦માં ઝવેરચંદને બે વર્ષ માટે જેલમાં રહેવું પડ્યું હતું.
આ સમય દરમ્યાન તેમણે ગાંધીજીની ગોળમેજી પરિષદ માટેની લંડન મુલાકાત ઉપર 'ઝેરનો કટોરો' કાવ્યની રચના કરી હતી.
ગાંધીજીએ ઝવેરચંદ મેઘાણીને રાષ્ટ્રીય શાયરના બિરુદથી નવાજ્યા હતાં.

તેમણે ફુલછાબ નામનાં છાપામાં લઘુકથાઓ લખવાનું પણ ચાલુ કર્યુ હતું.
ઇ.સ. ૧૯૩૩માં તેમનાં પત્નીનાં દેહાંત બાદ તેઓ ૧૯૩૪માં મુંબઈ સ્થાયી થયા.
અહીં તેમનાં લગ્ન ચિત્રદેવી સાથે થયા.
તેમણે જન્મભૂમિ નામનાં છાપામાં 'કલમ અને કીતાબ' નાં નામે લેખ લખવાની તેમજ સ્વતંત્ર નવલકથાઓ લખવાની શરુઆત કરી. ઇ.સ.૧૯૩૬ થી ૧૯૪૫ સુધી તેઓએ ફુલછાબનાં સંપાદકની ભુમીકા ભજવી જે દરમ્યાન ૧૯૪૨માં 'મરેલાનાં રુધીર' નામની પોતાની પુસ્તીકા પ્રકાશિત કરી. ઇ.સ. ૧૯૪૬માં તેમની પુસ્તક 'માણસાઈનાં દીવા' ને મહીડાં પારિતોષિકથી સન્માનવામાં આવ્યું હતું અને તે જ વર્ષે તેમને ગુજરાતી સાહિત્ય પરિષદનાં સાહિત્ય વિભાગનાં વડા તરીકે નીમવામાં આવેલાં.

સર્જન
મેઘાણીએ ચાર નાટકગ્રંથ,
સાત નવલિકા સંગ્રહ,
તેર નવલકથા, છ ઇતિહાસ,
તેર જીવનચરિત્રની તેમને રચના કરી હતી.
તેમણે લોકસેવક રવિશંકર મહારાજની અનુભવેલ કથાઓનું
"માણસાઇના દીવા"માં વાર્તારુપે નિરુપણ કર્યુ છે
મેઘાણી તેમના લોકસાહિત્યમાં સૌરાષ્ટ્રની ધિંગી તળપદી બોલીની તેજસ્વિતા અને તાકાત પ્રગટાવી શક્યા છે. તુલસીક્યારો, યુગવંદના, કંકાવટી, સોરઠી બહારવટિયા, સૌરાષ્ટ્રની રસધારા વગેરે તેમનું નોંધપાત્ર સર્જન છે.
રણજિતરામ સુવર્ણચંદ્રક સ્વીકારતા મેઘાણીએ મહાનતા ન દેખાડતા કહ્યું હતું કે,

“શિષ્ટ સાહિત્ય અને લોકસાહિત્ય વચ્ચે સેતુ બાંધે છે.
સાથોસાથ અમો સહુ અનુરાગીઓમાં વિવેક, સમતુલા, શાસ્ત્રીયતા, વિશાલતા જન્માવે છે.”

દેહાંત
૯ માર્ચ ૧૯૪૭નાં દિવસે, ૫૦ વર્ષની ઉંમરે, હ્રદય રોગના હુમલામાં તેમના બોટાદ સ્થિત નિવાસસ્થાને તેમનું મૃત્યુ થયું.

 લોકકથા
• ડોશીમાંની વાતો - ૧૯૨૩
• સૌરાષ્ટ્રની રસધાર ૧ - ૧૯૨૩
• સૌરાષ્ટ્રની રસધાર ૨ - ૧૯૨૪
• સૌરાષ્ટ્રની રસધાર ૩ - ૧૯૨૫
• સૌરાષ્ટ્રની રસધાર ૪ - ૧૯૨૬
• સૌરાષ્ટ્રની રસધાર ૫ - ૧૯૨૭
• સોરઠી બાહરવટીયા ૧- ૧૯૨૭
• સોરઠી બાહરવટીયા ૨ - ૧૯૨૮
• સોરઠી બાહરવટીયા ૩ - ૧૯૨૯
• કંકાવટી ૧ - ૧૯૨૭
• કંકાવટી ૨ - ૧૯૨૮
• દાદાજીની વાતો - ૧૯૨૭
• સોરઠી સંતો - ૧૯૨૮
• સોરઠી ગીતકથાઓ - ૧૯૩૧
• પુરાતન જ્યોત - ૧૯૩૮
• રંગ છે બારોટ - ૧૯૪૫

લોકગીતો
• રઢીયાળી રાત ૧ - ૧૯૨૫
• રઢીયાળી રાત ૨ - ૧૯૨૫
• રઢીયાળી રાત ૩ - ૧૯૨૭
• રઢીયાળી રાત ૪ - ૧૯૪૨
• ચુંદડી ૧ - ૧૯૨૮
• ચુંદડી ૨ - ૧૯૨૯
• ઋતુગીતો - ૧૯૨૯
• હાલરડાં - ૧૯૨૯
• સોરઠી સંતવાણી - ૧૯૪૭
• સોરઠીયા દુહા - ૧૯૪૭

નાટક
• રાણો પ્રતાપ -(ભાષાંતર)૧૯૨૩
• રાજા રાણી - ૧૯૨૪
• શાહજહાંન -(ભાષાંતર)૧૯૨૭
• વંઠેલાં - ૧૯૩૩ •બલિદાન -

જીવનચરિત્ર👀
• નરવિર લાલાજી - ૧૯૨૭
(બે દેશ દીપક ખંડ ૧)
• સત્યવીર શ્રધ્ધાનંદ - ૧૯૨૭
(બે દેશ દીપક ખંડ ૨)
• ઠક્કર બાપા - ૧૯૩૯
• અકબરની યાદમાં - ૧૯૪૨
• આપણું ઘર - ૧૯૪૨
• પાંચ વરસનાં પંખીડાં - ૧૯૪૨
• મરેલાનાં રુધીર - ૧૯૪૨
• આપણાં ઘરની વધુ વાતો - ૧૯૪૩
• દયાનંદ સરસવતી - ૧૯૪૪
• માણસાઈના દીવા - ૧૯૪૫

નવલકથા
• સત્યની શોધમાં - ૧૯૩૨
• નિરંજન - ૧૯૩૬
• વસુંધરાનાં વહાલાં દવલાં - ૧૯૩૭
• સોરઠ, તારાં વહેતાં પાણી - ૧૯૩૭
• સમરાંગણ - ૧૯૩૮
• અપરાધી - ૧૯૩૮
• વેવિશાળ - ૧૯૩૯
• રા' ગંગાજળિયો‎ - ૧૯૩૯
• બિડેલાં દ્વાર - ૧૯૩૯
• ગુજરાતનો જય ૧ - ૧૯૪૦
• તુલસી-ક્યારો - ૧૯૪૦
 • ગુજરાતનો જય ૨ - ૧૯૪૨
• પ્રભુ પધાર્યા - ૧૯૪૩
• કાલચક્ર - ૧૯૪૭

કવિતાસંગ્રહ
• વેણીનાં ફૂલ - ૧૯૨૮
• કિલ્લોલ - ૧૯૩૦
• સિંધુડો - ૧૯૩૦
• યુગવંદનાં - ૧૯૩૫
• એકતારો - ૧૯૪૦
• બાપુનાં પારણાં - ૧૯૪૩
• રવિંદ્રવીણા - ૧૯૪૪

લઘુકથા
• કુરબાનીની કથાઓ -૧૯૨૨
• ચિતાનાં અંગારા ૧ - ૧૯૩૧
• ચિતાનાં અંગારા ૨ - ૧૯૩૨
• જેલ ઓફીસની બારી - ૧૯૩૪
• દરીયાપારનાં બાહરવટીયાં - ૧૯૩૨
• પ્રતિમાંઓ - ૧૯૩૪
• પલકારા - ૧૯૩૫
• ધુપ છાયા - ૧૯૩૫ મેઘાણીની નવલિકાઓ ખંડ ૧, મેઘાણીની નવલિકાઓ ખંડ ૨ - ૧૯૪
• વિલોપન - ૧૯૪૬

લોકસાહિત્ય
• લોકસાહિત્ય ૧ - ૧૯૩૯
• પગડંડીનો પંથ - ૧૯૪૨
• ચારણો અને ચારણી સાહિત્ય - ૧૯૪૩
•ધરતીનું ધાવણ - ૧૯૪૪
• લોકસાહિત્યનું સમાલોચન - ૧૯૪૬

પ્રવાસ ભાષણ
• સૌરાષ્ટ્રનાં ખંડેરોમાં - ૧૯૨૮
• સોરઠને તીરે તીરે - ૧૯૩૩
• પરકમ્મા - ૧૯૪૬
• છેલ્લું પ્રયાણ - ૧૯૪૭

અન્ય
 • સળગતું આયર્લૅંડ
• ઍશીયાનું કલંક
• લાલકિલ્લાનો મુકદ્દમો

ઝવેરચંદ મેધાણીની કૃતિઓ
ચારણ-કન્યા
ફૂલમાળ (ઝવેરચંદ મેઘાણી)

કોડિયું (ઝવેરચંદ મેઘાણી)

છેલ્લી પ્રાર્થના (ઝવેરચંદ મેઘાણી)

માં -રવિન્દ્રનાથ ટાગોર
(અનુવાદઃ ઝવેરચંદ મેઘાણી)

શૌર્યગીત: ખમા ! ખમા ! લખ વાર

મોર બની થનગાટ કરે (ઝવેરચંદ મેઘાણી)

ઘણ રે બોલે ને-
છેલ્લો કટોરો
ઝાકળબિંદુ !
આગે કદમ !
આગે કદમ !
આગે કદમ !

માતૃભૂમિ ની આઝાદી માટે જેમણે પ્રેરણા નું કાર્ય કર્યું હતું એવા "રાષ્ટ્રીય શાયર"
શ્રી ઝવેરચંદ મેઘાણી ની જન્મ-જયંતી ની  શુભેચ્છાઓ કોટિ કોટિ વંદન.
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Tuesday, August 21, 2018

Misuse of WhatsApp व्हात्सप्प का गलत उपयोग

Misuse of WhatsApp
व्हात्सप्प का गलत उपयोग 
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नमस्कार मित्रो मेरा नाम आशिष राजपरा है आज में आपको ऐसी जानकारी देना चाहता हु जिसको जानना आप के लिए बहोत जरुरी है| आजकल whatsapp में कई सरे ऐसे मेसेज घूम रहे है जो कहेते है की ये कंपनी ये दे रही है वो दे रही है तब आप उस लिंक को ओपन करते हो और आप के सामने एक पेज खुलता है जिस में आपको अपना नाम, एड्रेस, फ़ोन नंबर सब कुछ डालने के लिए कहा जाता है बाद में आपको उसे 10 whatsapp ग्रुप में शेयर करने को कहा जाता है और बाद में कुछ होता नहीं है फिर आप ने जिस जिस को शेयर किया होता है वो १० लोग १० लोगो को शेयर करते है और ये सिलसिला चलता रहेता है और किसी को कुछ नहीं मिलता अब में आपको बताता हु की अगर कुछ मिलता नहीं तो ये आता क्यों है और इस का मतलब क्या है| दरअसल इस से किसी को कुछ नहीं मिलता है मिलता है तो जिसने ये बनाया है उसको मिलता है क्या मिलता आप की सब जानकारी जो आपने शेयर करने से पहेले नाम पता मोबाइल नंबर डाला था वो दरअसल उसके कंप्यूटर में स्टोर हो जाता है और वो सब जानकारी वो जमा करते है फिर वो बेच देते है| क्या आपने कभी सोचा है की आपको जो फ्रॉड कॉल आते है उसके पास आपका नंबर और नाम कहा से आया वो ये सब जानकारी खरीदते है| और जहा आपने ये जानकारी दी थी वो लोग ये सब पैसे कमाने के लिए करते आपको वो कुछ नहीं देनेवाले फिर सब लोग लालच में आकर सबकुछ शेयर करते है| और एक बात है ये लोग ये जानकारी सिर्फ उसे ही नहीं बेचते इसका इस्तमाल आतंकवादी संगठन भी करते है वो भी ये जानकारी खरीदते है और इनका बहोत गलत उपयोग करते है इससे आप कभी मुसीबत में भी फंस सकते हो तो मेरी बात मनो ये सब शेयर करना छोड़ दीजिये लालच में आकर आप अपनी ही जानकारी ऐसे लोगो को देते हो जिसे जानते भी नहीं और इसका क्या करेंगे वो लोग वो भी आप नहीं जानते| अब आपको ऐसा मेसेज आये तो आप अपना नाम पता डालने की बजाये कुछ भी लिखेंगे तो भी वो आपको १० या १५ लोगो को शयेर करने को कहेंगे|
और दूसरी बात है whatsapp पर कई बार ऐसे मेसेज आते है की इसकी हालत बहुत गंभीर है इसे पैसे की जरुरत है अगर आप इस पोस्ट को शेयर करते हो तो whatsapp या facebook की तरफ से एक शेयर का १० पैसा लेगा २० पैसा मिलेगा में आपको साफ दौर से बता दू की फेसबुक एक यहूदी की कंपनी है और whatsapp भी उसने खरीद लिया है और यहूदी कभी किसी ट्रस्ट या चैरिटी में नहीं मानते वो कभी किसी को चवन्नी भी नहीं देने वाले| ये सब मेसेज बनाने वाले और कोई नहीं हमारे देश के दुश्मन है जो इस तरह के मेसेज को बनाकर हमारे देश में वायरल करके ये एक्सपेरिमेंट करते है की कभी किसी गलत मेसेज को वायरल करना हो तो कितनी देर में हो सकता है कोई जूठी अफवा फैलानी हो तो कितनी देर में फैला सकते है| इसमें ये लोग सबसे पहेले हमारे देवी देवताओ को सामेल करते है और ये मेसेज भेजते है की ये १० लोगो को भेजो शाम तक एक अच्छी खबर मिलेगी में आपको पूछना चाहता हु क्या हमारे भगवान हमारे इष्टदेव की फोटो whatsapp में शेयर करेंगे तो हमारे इष्टदेव खुश होंगे नहीं वो हमारी भक्ति से प्रार्थना से खुश होते है उनके प्रति हमारे विश्वास से प्रेम से खुश होते है उसको खुश करने के लिए whatsapp की जरुरत नहीं है ये सब शेयर करके हम हमारे ही भगवान इष्टदेव का ही अपमान करते है में आप से विनंती करता हु की आप ऐसा मत करो| देश के प्रति जागृत बनो एक दुसरे की मदद करो उससे हमारे भगवान जितने खुश होते है इतना किसी चीज़ से नहीं होते|
अगर मेरी ये पोस्ट अच्छी लगी हो तो आगे शेयर करे ताकि ये भारत के हर एक नागरिक तक पहुचे और हमारे देश को खोखला करने वाले लोगो को भी पता चले की अब इस भारत देश की जनता जाग चुकी है|
जय हिन्द | जय भारत | वन्दे मातरम्
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Monday, August 20, 2018

World Mosquito Day | विश्व मच्छर दिवस


World Mosquito Day
विश्व मच्छर दिवस
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सम्पूर्ण विश्व में प्रत्येक वर्ष 20 अगस्त को विश्व मच्छर दिवस मनाया जाता हैं।
यह दिवस पेशेवर चिकित्सक सर रोनाल्ड रास की स्मृति में मनाया जाता हैं,
जिन्होंने वर्ष 1897 में यह खोज़ की थी कि मनुष्य में मलेरिया जैसी जानलेवा बीमारी के संचरण के लिए मादा मच्छर उत्तरदायी है।

इतिहास:
विश्व मच्छर दिवस की शुरुआत
20 अगस्त 1897 से हुई।
लिवरपूल स्कूल ऑफ ट्रॉपिकल मेडिसिन के ब्रिटिश डॉ. रोनाल्ड रॉस ने इसी दिन खोज की कि मलेरिया के संवाहक मादा एनॉफिलीज मच्छर होते हैं।
बाद में उनके प्रयास से मच्छर जनित बीमारियों की रोकथाम और उपचार के लिए दुनियाभर में अभियान चले और मलेरिया से हजारों लोगों की जान बचाई जा सकी।
इसी योगदान के लिए उन्हें 1902 में चिकित्सा के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया था।
मच्छर का छोटा डंक–बड़ा ख़तरा पैदा कर सकता हैं।
मच्छर का काटना घातक हो सकता है।
मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया, जापानी इन्सेफेलाइटिस, फाइलेरिया,ज़ीका वायरस और पीत ज्वर जैसी बीमारियों के कारण जीवन को गंभीर ख़तरा भी हो सकता हैं।

मच्छरों से होने वाले रोग:👁
• डेंगू: डेंगू मच्छर बरसात के मौसम में पनपने वाला मच्छर है। इसका वायरस DENV-1, DENV-2, DENV-3, DENV-4 वायरस होता है।
इसके काटे जाने पर तेज बुखार आता है। इसे हड्डी तोड़ बुखार भी कंहा जाता है। डेंगू दिन में काटने वाले मादा मच्छर एडीज एजिप्टी से फैलता है
इसमें व्यक्ति को तेज़ बुखार, सिरदर्द, आंखों के पीछे दर्द, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द और शरीर पर फुंसियां हो जाती हैं।

• मलेरिया: मलेरिया बीमारी मादा एनोफ़ेलीज़ मच्छर के काटे जाने से
होता है।
यह मच्छर भी बरसात के मौसम में ही पनपता है मलेरिया रोग परजीवी प्लाजमोडियम से फैलने वाला रोग है।

• चिकनगुनिया: इसका नाम सुनने में सड़क पर मिलने वाले स्वादिष्ट खाद्य पदार्थ की तरह लगता है।
लेकिन यह एक तकलीफ़देह बीमारी है जिसमें तेज बुख़ार और जोड़ों में दर्द होता है। चिकनगुनिया का पता पहली बार तंजानिया में 1952 में चला था।
इसका नाम किमाकोंडे भाषा से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है ”विकृत होना।”

• पीत ज्वर या येलो फ़ीवर: पीत ज्वर एक वायरस से फैलता है, जो हर साल क़रीब दो लाख लोगों को प्रभावित करता है, इनमें सबसे अधिक लोग उप-सहारा अफ़्रीका के होते हैं।

• ला क्रोसे इंसेफ़लाइटिस: मच्छर से पैदा होने वाले इस वायरस का नाम अमरीका के विस्कॉन्सिन राज्य के ला क्रोसे शहर के नाम पर पड़ा, जहां पहली बार 1963 में, इसका पता चला था।

मच्छरों से बचाव (सावधानिया)

बारिश के दिनों में, मच्छरों के पनपने और कई बीमारियों के संचरण हेतु अनुकूल परिस्थितियां निर्मित हो जाती हैं।
विश्व भर में मच्छरों की हजारों प्रजातियों हैं, जिनमें से कुछ बहुत ज़्यादा हानिकारक होती हैं।
नर मच्छर पराग (पेड़-पौधों) का रस चूसते हैं, जबकि मादा मच्छर अपने पोषण के लिए मनुष्य का खून चूसती हैं।
जब मादा मच्छर मनुष्य का खून चूस लेती हैं, तब यह मनुष्य में प्राण घातक संक्रमण को संचारित करने वाले घटक के तौर पर कार्य करती हैं, जिसके कारण मानव जीवन हेतु उत्तरदायी ख़तरनाक बीमारियां पैदा हो सकती हैं।

मच्छरों के काटने से कैसे बचें:-

• जगह-जगह पर पानी न भरने दे या जंहा
• पानी भरे वंहा पर मिटटी का तेल या पेट्रोल की कुछ बुँदे रोजाना डाले।
• विटामिन की अधिकता वाली चींजे खाए, जैंसे -आंवला , संतरा।
• पानी की टंकियो,  कूलर, ट्यूब तथा टायरो में पानी इकट्ठा न होने दे।
• कूलर का पानी प्रतिदिन बदले।
• पानी की टंकियो को सही से बंद करे।
• खाने में ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करे ,दो से तीन चुटकी हल्दी पानी के साथ ले।
• हल्दी को सुबह आधा चम्मच पानी के साथ या रात को दूध के साथ सेवन करे।
• तुलसी के पत्तो को शहद के साथ पानी में उबाल कर पीये।
• यदि ज्यादा नजला, जुकाम हो तो रात को दूध न पीये।
• नाक के अन्दर सरसों का तेल लगाये,
तेल की चिकनाहट के कारण बाहर से आने वाले बैक्टीरिया को नाक के अन्दर जाने से रोकती है।
• यदि बार -बार उल्टी हो रही है तो सेब के रस में नींबू मिलाकर ले।
• स्थिति ख़राब हो तो गेंहू के जवारे के रस निकालकर दिन में 2-3 बार ले।
• गिलोय के बेल की डंडी का काढ़ा बनाकर दे।
• खराब राहू तथा शनि वाले व्यक्ति को मच्छर से काटे जाने की समस्या होती है।
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Sunday, August 19, 2018

Shivaji Maharaj history in Hindi

शिवाजी महाराज का इतिहास

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शिवाजी उर्फ़ छत्रपति शिवाजी महाराज – Shivaji Maharaj भारतीय शासक और मराठा साम्राज्य के संस्थापक थे। शिवाजी महाराज एक बहादुर, बुद्धिमान और निडर शासक थे। धार्मिक अभ्यासों में उनकी काफी रूचि थी। रामायण और महाभारत का अभ्यास वे बड़े ध्यान से करते थे।

पूरा नाम  – शिवाजी शहाजी भोसले / Shivaji Maharaj
जन्म       – 19 फरवरी, 1630 / अप्रैल, 1627
जन्मस्थान – शिवनेरी दुर्ग (पुणे)
पिता       – शहाजी भोसले
माता       – जिजाबाई शहाजी भोसले
विवाह     – सइबाई के साथ

छत्रपती शिवाजी महाराज

Shivaji Maharaj history in Hindi

शाहजी भोंसले की पत्नी जीजाबाई (राजमाता जिजाऊ) की कोख से शिवाजी महाराज का जन्म 19 फरवरी, 1630 को शिवनेरी दुर्ग में हुआ था। शिवनेरी दुर्ग पूना (पुणे) से उत्तर की तरफ़ जुन्नार नगर के पास था। उनका बचपन राजा राम, संतों तथा रामायण, महाभारत की कहानियों और सत्संग में बीता। वह सभी कलाओ में माहिर थे, उन्होंने बचपन में राजनीति एवं युद्ध की शिक्षा ली थी।
उनके पिता शहाजी भोसले अप्रतिम शूरवीर थे। शिवाजी महाराज के चरित्र पर माता-पिता का बहुत प्रभाव पड़ा। बचपन से ही वे उस युग के वातावरण और घटनाओं को बहली प्रकार समझने लगे थे।
शासन वर्ग की करतूतों पर वे झल्लाते थे और बेचैन हो जाते थे। उनके बाल-ह्रदय में स्वाधीनता की लौ प्रज्ज्वलित हो गयी थी। उन्होंने कुछ मावळावो (सभि जाती के लोगो को ऐक ही (मावळा) ऊपाधी दे कर जाती भेद खत्म करके सारि प्रजा को संघटित कीया था) का संगठन किया। विदेशी शासन की बेड़ियाँ तोड़ फेंकने का उनका संकल्प प्रबलतर होता गया।
छत्रपति शिवाजी महाराज का विवाह सन 14 मई 1640 में सइबाई निम्बालकर के साथ लाल महल पुना में हुआ था।

शिवाजी महाराज शिवराज्याभिषेक – Shivaji Maharaj Rajyabhishek

सन 1674 तक शिवाजी राजे ने उन सारे प्रदेशों पर अधिकार कर लिया था जो पुरन्दर की संधि के अंतर्गत उन्हें मुगलों को देने पड़े थे। पश्चिमी महाराष्ट्र में स्वतंत्र हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के बाद शिवाजीराजे का राज्याभिषेक हुआ।
विभिन्न राज्यों के दूतों, प्रतिनिधियों के अलावा विदेशी व्यापारियों को भी इस समारोह में आमंत्रित किया गया। शिवाजी राजे ने छत्रपति की उपाधि ग्रहण की। काशी के पंडित विश्वेक्ष्वर जी भट्ट को इसमें विशेष रूप से आमंत्रित किया गया था।
पर उनके राज्याभिषेक के 12 दिन बाद ही उनकी माता का देहांत हो गया। इस कारण से दूसरी बार उनका राज्याभिषेक हुआ। इस समारोह में हिन्द स्वराजकी स्थापना का उद्घोष किया गया था। विजयनगर के पतन के बाद दक्षिण में यह पहला हिन्दू साम्राज्य था।
एक स्वतंत्र शासक की तरह उन्होंने अपने नामका सिक्का चलवाया। इसके बाद बीजापुर के सुल्तान ने कोंकण विजय के लिए अपने दो सेनाधीशों को शिवाजी के विरुध्द भेजा पर वे असफल रहे।

एक नजर मै शिवाजी महाराज का इतिहास – Shivaji Maharaj History in Hindi

1) उनका जन्म पुणे के किले में 7 अप्रैल 1627 को हुआ था। (उनकी जन्मतिथि को लेकर आज भी मतभेद चल रहे है)
2) शिवाजी महाराज ने अपना पहला आक्रमण तोरण किले पर किया, 16-17 वर्ष की आयु में ही लोगों ( मावळावो ) को संगठित करके अपने आस-पास के किलों पर हमले प्रारंभ किए और इस प्रकार एक-एक करके अनेक किले जीत लिये, जिनमें सिंहगढ़, जावली कोकण, राजगढ़, औरंगाबाद और सुरत के किले प्रसिध्द है।
शिवाजी की ताकत को बढ़ता हुआ देख बीजापुर के सुल्तान ने उनके पिता को हिरासत में ले लिए। बीजापुर के सुल्तान से अपने पिता को छुड़ाने के बाद शिवाजी राजे ने पुरंदर और जावेली के किलो पर भी जीत हासिल की। इस प्रकार अपने प्रयत्न से काफी बड़े प्रदेश पर कब्जा कर लिया।
3) शिवाजी राजे की बढती ताकत को देखते हुए मुग़ल साम्राज्य के शासक औरंगजेब ने जय सिंह और दिलीप खान को शिवाजी को रोकने के लिये भेजा। और उन्होंने शिवाजी को समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए कहा। समझौते के अनुसार उन्हें मुघल शासक को 24 किले देने थे।
इसी इरादे से औरंगजेब ने शिवाजी राजे को आमंत्रित भी किया। और बाद में शिवाजी राजे को औरंगजेब ने अपनी हिरासत में ले लिया था, कैद से आज़ाद होने के बाद, छत्रपति ने जो किले पुरंदर समझौते में खोये थे उन्हें पुनः हासिल कर लिया। और उसी समय उन्हें “छत्रपति” का शीर्षक भी दिया गया।
4) उन्होंने मराठाओ की एक विशाल सेना तैयार की थी। उन्होंने गुरिल्ला के युद्ध प्रयोग का भी प्रचलन शुरू किया। उन्होंने सशक्त नौसेना भी तैयार कर रखी थी। भारतीय नौसेना का उन्हें जनक कहा जाता है।
5) जून, 1674 में उन्हें मराठा राज्य का संस्थापक घोषीत करके सिंहासन पर बैठाया गया।
6) शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक के 12 दिन बाद उनकी माता का देहांत हो गया।
7) उनको ‘छत्रपती’ की उपाधि दी गयी। उन्होंने अपना शासन हिन्दू-पध्दती के अनुसार चलाया। शिवाजी महाराज के साहसी चरित्र और नैतिक बल के लिये उस समय के महान संत तुकाराम, समर्थ गुरुरामदास तथा उनकी माता जिजाबाई का अत्याधिक प्रभाव था।
8) एक स्वतंत्र शासक की तरह उन्होंने अपने नाम का सिक्का चलवाया।
9) मृत्यु – अप्रैल, 1680 में शिवाजी महाराज का देहांत हुवा। शिवाजी महाराज की गनिमी कावा को विलोभनियतासे और आदरसहित याद किया जाता है।
शिवाजी महाराज राजमुद्रा – Shivaji Maharaj Rajmudra
Shivaji Maharaj Rajmudra
6 जून “इ.स. 1674” को शिवाजी महाराज का रायगड पर राज्याभिषेक हुवा। और तभी से “शिवराज्याभिषेक शक शुरू किया और “शिवराई” ये मुद्रा आयी।
Shivaji Maharaj Rajmudra:
छत्रपती शिवाजीराजे पुणे का काम देखने लगे, तभी उन्होंने खुदकी राजमुद्रा तयार की। और ये राजमुद्रा संस्कृत भाषा में थी।
संस्कृत: “प्रतिपच्चंद्रलेखेव वर्धिष्णुर्विश्ववंदिता शाहसुनोः शिवस्यैषा मुद्रा भद्राय राजते”
नोंध : अगर इस पोस्ट पे कोई गलत जानकारी हो तो तुरंत हमें ईमेल करे या कमेंट करे हम जो भी गलती होगी वो सुधर करके अपडेट करेंगे
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जिंदगी जीने के लिए ग्रेट थॉट्स हिंदी में | Great Thoughts for Enjoy Life in Hindi

जिंदगी जीने के लिए ग्रेट थॉट्स हिंदी में

Great Thoughts for Enjoy Life in Hindi

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1. जिन्दगी न तो भविष्य में हैं और ना तो अतीत में जीवन तो केवल वर्तमान में हैं।

2. जुबान में हड्डी नहीं होती लेकिन हड्डी तुडवाने की ताकद जरुर होती है।
3. आप खुश रहोंगे तो आपके दुश्मनों को सजा अपने आप मिल जाती हैं।
4. जीवन का एक ही नियम हैं “जो झुकता हैं वो प्राप्त करता हैं” वैसे ही जैसे कुए में उतरने वाली बाल्टी झुकती है तो भरकर बाहर निकलती है।
5. जो मनुष्य आपके बुरे समय में आपका साथ नहीं देता, उसे आपके अच्छे वक्त में भी साथ रहने का कोई अधिकार नहीं है।
6. पहले पाप करके बादमें प्रायचित्त करना वो कीचड़ में पैर डालके फिर धोने के समान हैं।
7. शिक्षा सबसे अच्छी मित्र है. हर शिक्षित व्यक्ति हर जगह सम्मान ही पता है. शिक्षा सौंदर्य और यौवन को परास्त कर देती है।
8. जब आप सपने देखना छोड़ देते हैं आप जीना छोड़ देते हैं।
9. एक मनुष्य को कठिनाइयों की जरूरत होती है क्योंकि तभी वह सफलता का आनंद ले सकता है।
10. आप वो बन जाते हैं जो आप सोचते हैं कि आप हैं।
11. जब आपको अपने लक्ष्य के आलावा जीवन में कुछ भी दिखाई नहीं देता तो आप अपने लक्ष्य को आसानी से प्राप्त कर सकोंगे।
12. जीवन में गिरना बहुत जरुरी हैं क्योकि जब तक आप गिरते नहीं तब तक आपको पाता नहीं चलेंगा की आप कितने मजबूत हो।
13. जो आपकी आपकी आँखों में पानी देखकर आपको हसता हो वही आपका सच्चे दोस्त हैं।
14. किसी भी विषय में हाँ कर देने की आदत आपको बर्बाद कर देंगी, कोई सीढ़िया वही होती हैं बस कोई ऊपर की और चढ़ रहा होता हैं तो कोई निचे उतर रहा होता हैं।
15. जिन लोगों का आप पर भरोसा होता हैं वही आपकी ताकद होती हैं।
16. ताकद बहुत जरुरी होती हैं फिर चाहे आपको दुनिया से अपना हक़ लेना हो, या दुनिया में को उसका हक़ दिलाना हो क्यो की दुनिया में तो प्यार भी प्यार से नहीं मिलता।
17. वर्तमान का उपयोग करने वाले हीं जीवन सफल होते हैं।
18. जो केवल शिकायतें हीं करते हैं, कभी स्वयं कुछ भी प्राप्त नहीं कर पाते।
19.दूसरों पर अपनी असफलता का दोष मढ़ने वाले जिंदगी में कभी आगे नहीं बढ़ पाते हैं।
20. अगर आप कुछ बड़ा पाना की सोच रहे है, तो आपकी जिवन आसान नहीं होगा. क्योंकि बड़ी सफलता आसानी से नहीं मिलती है।
21. जो इन्सान यह जानते हुए भी कि सही रास्ता कौन सा है, गलत रास्ते पर आगे बढ़ता जा रहा हो…. भगवान भी उसका भला नहीं कर सकते हैं।
22. इतने मजबूत बनिए, कि कोई भी छोटी-छोटी बातें आपको प्रभावित न कर सकें।
23. जो बातें नज़रअंदाज़ करने लायक हैं, आपको उन बातों को नज़रअंदाज़ ही करना चाहिए।
24. अगर आपके बिना भी दूसरे का काम हो सकता है, तो दूसरे के कामों में शामिल न हों।
25. आपको अच्छे विचार तब तक पता नहीं चलेंगे, जब तक आप कुछ बुरे विचारों पर काम नहीं करते।
26. अगर किसी चीज को हासिल करना चाहते हो, तो स्वयं को उस के काबिल बनाओ. ऐसी स्थिति मत आने दो कि तुम्हें दूसरे के आगे मजबूर होना पड़े।
27. जब आप अपने इस वक्त को बर्बाद करते हैं, तो दूसरे लोग आपके भविष्य का निर्धारण करते हैं। क्योंकि वर्तमान को बर्बाद करने का मतलब होता है खुद को कमजोर बनाना।
28. आप चाहे जितने भी होशियार हो. आप गलतियाँ करेगे हीं. और इससे आप बेहतर हीं बनेंगे।
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10 Tips for Get Healthy | हेल्थी रहेने के १० उपाय जरुर करे

10 Tips for Get Healthy
हेल्थी रहेने के १० उपाय जरुर करे
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कहीं भी बाहर से घर आने के बाद, किसी बाहरी वस्तु को हाथ लगाने के बाद, खाना बनाने से पहले, खाने से पहले, खाने के बाद और बाथरूम का उपयोग करने के बाद हाथों को अच्छी तरह साबुन से धोएं। यदि आपके घर में कोई छोटा बच्चा है तब तो यह और भी जरूरी हो जाता है। उसे हाथ लगाने से पहले अपने हाथ अच्छे से जरूर धोएं।


* घर में सफाई पर खास ध्यान दें, विशेषकर रसोई तथा शौचालयों पर। पानी को कहीं भी इकट्ठा न होने दें। सिंक, वॉश बेसिन आदि जैसी जगहों पर नियमित रूप से सफाई करें तथा फिनाइल, फ्लोर क्लीनर आदि का उपयोग करती रहें। खाने की किसी भी वस्तु को खुला न छोड़ें। कच्चे और पके हुए खाने को अलग-अलग रखें। खाना पकाने तथा खाने के लिए उपयोग में आने वाले बर्तनों, फ्रिज, ओवन आदि को भी साफ रखें। कभी भी गीले बर्तनों को रैक में नहीं रखें, न ही बिना सूखे डिब्बों आदि के ढक्कन लगाकर रखें।

* ताजी सब्जियों-फलों का प्रयोग करें। उपयोग में आने वाले मसाले, अनाजों तथा अन्य सामग्री का भंडारण भी सही तरीके से करें तथा एक्सपायरी डेट वाली वस्तुओं पर तारीख देखने का ध्यान रखें। 

* बहुत ज्यादा तेल, मसालों से बने, बैक्ड तथा गरिष्ठ भोजन का उपयोग न करें। खाने को सही तापमान पर पकाएं और ज्यादा पकाकर सब्जियों आदि के पौष्टिक तत्व नष्ट न करें। साथ ही ओवन का प्रयोग करते समय तापमान का खास ध्यान रखें। भोज्य पदार्थों को हमेशा ढंककर रखें और ताजा भोजन खाएं।

* खाने में सलाद, दही, दूध, दलिया, हरी सब्जियों, साबुत दाल-अनाज आदि का प्रयोग अवश्य करें। कोशिश करें कि आपकी प्लेट में 'वैरायटी ऑफ फूड' शामिल हो। खाना पकाने तथा पीने के लिए साफ पानी का उपयोग करें। सब्जियों तथा फलों को अच्छी तरह धोकर प्रयोग में लाएं। 

* खाना पकाने के लिए अनसैचुरेटेड वेजिटेबल ऑइल (जैसे सोयाबीन, सनफ्लॉवर, मक्का या ऑलिव ऑइल) के प्रयोग को प्राथमिकता दें। खाने में शकर तथा नमक दोनों की मात्रा का प्रयोग कम से कम करें। जंकफूड, सॉफ्ट ड्रिंक तथा आर्टिफिशियल शकर से बने ज्यूस आदि का उपयोग न करें। कोशिश करें कि रात का खाना आठ बजे तक हो और यह भोजन हल्का-फुल्का हो। 

* अपने विश्राम करने या सोने के कमरे को साफ-सुथरा, हवादार और खुला-खुला रखें। चादरें, तकियों के गिलाफ तथा पर्दों को बदलती रहें तथा मैट्रेस या गद्दों को भी समय-समय पर धूप दिखाकर झटकारें। 

* मेडिटेशन, योगा या ध्यान का प्रयोग एकाग्रता बढ़ाने तथा तनाव से दूर रहने के लिए करें।

* कोई भी एक व्यायाम रोज जरूर करें। इसके लिए रोजाना कम से कम आधा घंटा दें और व्यायाम के तरीके बदलते रहें, जैसे कभी एयरोबिक्स करें तो कभी सिर्फ तेज चलें। अगर किसी भी चीज के लिए वक्त नहीं निकाल पा रहे तो दफ्तर या घर की सीढ़ियां चढ़ने और तेज चलने का लक्ष्य रखें। कोशिश करें कि दफ्तर में भी आपको बहुत देर तक एक ही पोजीशन में न बैठा रहना पड़े। 

* 45 की उम्र के बाद अपना रूटीन चेकअप करवाते रहें और यदि डॉक्टर आपको कोई औषधि देता है तो उसे नियमित लें। प्रकृति के करीब रहने का समय जरूर निकालें। बच्चों के साथ खेलें, अपने पालतू जानवर के साथ दौड़ें और परिवार के साथ हल्के-फुल्के मनोरंजन का भी समय निकालें।
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Saturday, August 11, 2018

Now go Bindast હવે બિન્દાસ્ત દોડો, મોદી સરકારે વાહનચાલકોને અાપી મોટી ભેટ : પોલીસની મનમાની ઘટશે

હવે બિન્દાસ્ત દોડો, મોદી સરકારે વાહનચાલકોને અાપી મોટી ભેટ : પોલીસની મનમાની ઘટશે
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અાપ ખાનગી વાન દ્વારા યાત્રા કરી રહ્યા છો તો મોદી સરકારે અાપી છે મોટી ભેટ. અાજથી તમે તમારી પાસે લાયસન્સ કે વાહન રજિસ્ટ્રેશનના કાગળ રાખવાની જરૂર નથી. હવે કાગળને બદલે પોતાના મોબાઇલ પર લાયસન્સ અને કાગળ દેખાડી શકો છે. જોકે, અા માટે કેન્દ્ર સરકાર દ્વારા શરૂ કરાયેલા ડિજિ લોકર અથવા પરિવહન મંત્રાલયના પ્લેટફોર્મ પર પોતાની વિગતો મૂકવાની રહેશે. કેન્દ્રઅે ગુરુવારે તમામ રાજ્યોને અાદેશ કર્યા છે કે, ઇલેક્ટ્રોનિક ફોર્મમાં લાયસન્સ , રજિસ્ટ્રેશન પ્રમાણપત્ર અથવા અન્ય દસ્તાવેજોને હવે માન્ય ગણાશે.

કઈ રીતે કરી અોનલાઇન નોંધણી કરશો

સરકારે અા માટે અેક વેબસાઈટ digilocker.gov.in બનાવી છે.

અા વેબસાઈટ પર જઈને તમે અેપ્લિકેશન ડાઉનલોડ કરી પોતાનું અેકાઉન્ટ ખોલી શકો છે. જેમાં તમારો મોબાઈલ નંબર અેડ કરતાં અેક વાર અોટીપી નંબર અાવશે . જે નંબરના અાધારે અાપ પોતાનું અેકાઉન્ટનું રજિસ્ટ્રેશન કરી શકશો. જેમાં યૂઝર નેમ અને પાસવર્ડ નાખી પોતાનું અેકાઉન્ટ બનાવી ડોક્યુમેન્ટ અપલોડ કરી શકો છે. ડિજિલોકરમા અન્ય સેવાઅો માટે અાપ અાપનો અાધાર નંબર પણ અેડ કરી શકો છો.
 
કેટલાક રાજ્યોના સ્ટેટ ટ્રાન્સપોર્ટ સત્તાવાળાઓ અને ટ્રાફિક પોલીસ દ્વારા ડ્રાઈવિંગ લાયસન્સ અને રજિસ્ટ્રેશન સર્ટીફીકેટનું ડિજિટલ વર્ઝન સ્વીકાર્ય કરવામાં આવતું નથી એવી મળેલી ફરીયાદો બાદ કેન્દ્ર સરકાર હવે મોટર વ્હીકલ એકટમાં ફેરફાર કરી વાહનોના તમામ દસ્તાવેજોનું ડિજિટલ વર્ઝન સ્વીકાર્ય બને તેવા અાદેશો બહાર પાડી દીધા છે. છે. જે દસ્તાવેજોનું ડિઝિટલ વર્ઝન સ્વીકાર્ય રહેશે. તેમાં પીયુસી સર્ટીફિકેટ અને વિમાના કાગળોનો પણ સમાવેશ થશે.

હવે ટ્રાફિક પોલિસ રોકે તો લાયસન્સની ડિઝિટલ કોપી પણ માન્ય રહેશે. ખિસ્સામાં લાયસન્સની અોરિજનલ કોપી લઇને ફરવાની જરૂરિયાત નથી. અત્યારસુધી અા કોપીને પોલીસ કર્મચારીઅો વેલિડ ગણતા ન હતા. હવે અા કોપી વેલિડ ગણાશે. લોકો સાથે બેગ કે ખિસ્સામાં રાખીને ફરવામાં ખોવાઇ જવાનો ડર અનુભવી રહ્યાં હતા. હવે ડિજિટલ કોપી માન્ય ઠરતાં સાથે લઇને જવાની જરૂર નથી. સરકાર અા અંગે બે દિવસમાં જ કાર્યવાહી કરે તેવી સંભાવના છે. કેન્દ્ર સરકાર ટ્રાફિક પોલીસની મનમાનીને પગલે અા નિર્ણયો લઇ રહી છે.

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Tuesday, August 7, 2018

Samsung's "unbreakable" OLED screen aces military-grade testing


Samsung's "unbreakable" OLED screen aces military-grade testing

Samsung's new OLED panel ditches glass for a flexible plastic cover

हम अपने स्मार्टफ़ोन को छोड़ते रहते हैं, इसलिए निर्माता उन पर डिस्प्ले बनाने के तरीकों को खोजने की कोशिश करते रहते हैं। कॉर्निंग ने अपने बेहतर गोरिल्ला ग्लास 6 का अनावरण करने के कुछ ही दिनों बाद, सैमसंग ने 201 9 के गैलेक्सी स्मार्टफोन के लिए आधिकारिक तौर पर "अटूट" ओएलडीडी पैनल दिखाया है।


सैमसंग ने वास्तव में कुछ महीने पहले 6.2 इंच, 1,440 x 2,960 पिक्सेल पैनल का पूर्वावलोकन किया था, लेकिन अब इसे उद्योग परीक्षकों अंडरवाइटर्स लेबोरेटरीज (यूएल) से अनुमोदन की मुहर दी गई है, जो अमेरिकी सरकार के साथ काम करता है।

गुप्त सॉस विशेष सब्सट्रेट और कस्टम-निर्मित ओवरले में निहित है जो सैमसंग ने एक साथ रखा है, जिससे पारंपरिक ओएलडीडी पैनलों की तुलना में स्क्रीन अधिक मजबूत हो गई है, जिसमें ग्लास शीर्ष पर रखा गया है। इसका मतलब है कि पूरे डिस्प्ले को केवल ओएलईडी परत न केवल फ्लेक्स किया जा सकता है।

सैमसंग के होजंग किम ने एक बयान में कहा, "मजबूत प्लास्टिक खिड़की विशेष रूप से पोर्टेबल इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के लिए उपयुक्त नहीं है, न केवल इसकी अटूट विशेषताओं के कारण, बल्कि हल्के, ट्रांसमिसिविटी और कठोरता के कारण भी, जो कि ग्लास के समान ही हैं।"

यूएल ने अमेरिकी रक्षा विभाग द्वारा निर्धारित सैन्य मानकों के आधार पर परीक्षण के माध्यम से स्क्रीन डाली। यह 1.2 मीटर (लगभग चार फीट) से 26 लगातार बूंदों से बच गया और सामान्य रूप से सामान्य परिचालन जारी रहा, और 71 डिग्री सेल्सियस (160 डिग्री फारेनहाइट) और -32 डिग्री सेल्सियस (-26 डिग्री फारेनहाइट) के तापमान में भी जीवित रहा।

सैमसंग ने कुछ कदम आगे बढ़े, 1.8 मीटर (लगभग 6 फीट) से एक सफल ड्रॉप टेस्ट आयोजित किया, और स्क्रीन पर किसी भी ध्यान देने योग्य प्रभाव के बिना ओलेड पैनल को हथौड़ा के साथ हड़ताली - विवरण के लिए नीचे दिए गए वीडियो को देखें।

जब हम स्क्रीन को बाजार में हिट करेंगे, तो 201 9 के गैलेक्सी फोन एक अच्छी शर्त लगते हैं। सैमसंग को अगले वर्ष के दौरान कुछ प्रकार के फोल्ड करने योग्य स्मार्टफोन को प्रकट करने के लिए व्यापक रूप से भेजा जा रहा है, और यह टिकाऊ, लचीला ओएलडीडी पैनल इसके लिए बिल्कुल सही होगा।

सैमसंग से अगला 9 अगस्त के लिए निर्धारित लॉन्च तिथि के साथ गैलेक्सी नोट 9 होगा। हालांकि यह डिस्प्ले इसके लिए बहुत देर हो रहा है - नोट 9 की उम्मीद है कि सैमसंग गैलेक्सी एस 9 और एस 9 प्लस द्वारा निर्धारित टेम्पलेट का बड़े पैमाने पर पालन करें।


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